Monday, November 30, 2015

मेरा प्रिय शहर 


इसमे कोई दो राय नहीं होगी अगर कोई मुझसे पूछे मेरा प्रिय शहर कौन सा है ? कोलकाता और क्या !! दुनिया घूम आया मेरे दोस्त लेकिन इस शहर जैसा अलबेला रंगीला और सुरीला कोई नहीं!! यहां के लोग यहां की संस्कृति और यहां का खाना , क्या कहना !! यह अलग बात है कि जब खाने की बात हो तो लोग चाईनीज खाने को दुनिया में बेहतरीन कहते है लेकिन उन्होंने शायद ईलिश भापा को चखा नहीं होगा वर्ना लोगो की राय बदल जाती !! 

और रसगुल्ला के बारे में क्या कहु , है कोई ऐसा मिठाई जो इसे टक्कर दे सके ? जैसे फलो का राजा आम, पछियों का हंस और जँगल का राजा शेर वैसे ही मिठाइयों का राजा रसगुल्ला! 

इस शहर का इतिहास भी अलबेला भारत का राजधानी यह शहर १९११ तक रहा और राजनितिक चहल पहल का केंद्र रहा। फिर नवजागरण और स्वतंत्रा आंदोलन में  यह सबसे आगे ही रहा।  खुदीराम , नेताजी सुभाष चन्द्र , जतिन दास, और न जाने कितने ही लोग रहे जिन्होंने देश की आज़ादी में अपना अमूल्य योगदान दिया। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर , राजा राम मोहन रॉय जिन्होंने सती प्रथा और बाल विवाह जैसे सामाजिक कुप्रथा बंद करवाया और विधवा विवाह के लिए समाज को प्रोत्हासित किया। 


भारत के ज्यादातर नोबेल पुरस्कार विजेता या तो कलकत्ता से है या कलकत्ता उनकी कर्म भूमि रही मसलन विश्व कवि रविंद्रनाथ, सी.वि.रमन, मदर टेरेसा और अमर्त्य सेन। 




पहली मेट्रो रेल सेवा या एकमात्र ऑस्कर विजेता फिल्म निर्देशक  सत्यजीत रे ,कलकत्ता ही उनकी जननी रही है।


यहाँ की सस्कृति और परम्परा का क्या कहना! दुर्गा पूजा जितना कलकत्ता का भव्य होता है उतना विश्व में कही नहीं। काली घाट और दक्षिणेश्वर के बिना कलकत्ता की आप कल्पना ही नहीं कर सकते क्योंकि कलकत्ता माने काली और काली मतलब कलकत्ता !


निर्माण के आधार पर देखे तो कलकत्ता के भवन और इमारते अपने आप में विशिष्ट है चाहे वो लाहा बाड़ी हो या राजेब्द्र मल्लिक का भवन हो या उत्त्तर कलकत्ता में बने हुए पुराने मकान हो जो अपने विशिष्ट शैली के लिए जाने जाते है।  

विक्टोरिया मेमोरियल जिसे कलकत्ता का शान कह सकते है इसे कलकत्ता का ताज महल भी कहते है!! इंडो गोथिक शैली में बना संत पॉल कैथेड्रल जो की कलकत्ता का सबसे बड़ा चर्च है वास्तु कला का एक अद्भुत नमूना है ! 


यहाँ के लोग जैसे आप को कही भी नहीं मिलेंगे मुझे एक घटना याद आ रही है, मैं दिल्ली गया था और मेरे पैसे गुम गए थे। स्टेशन के पास मैंने एक सज्जन से पूछा यहां आस पास कोई ए टी एम है क्या? पहले तो उसने  कुछ नहीं कहा मुझ पर एक नज़र डाल वो अपने काम में वयस्त हो गया जब मैंने दुबारा पूछा तो उसने मुझे डपटते हुए चले जाने को कहा! अगर यही घटना कलकत्ता में होता तो लोग न सिर्फ मुझे ए टी एम का पता बताते बल्कि जरुरत पड़ती तो शायद मेरे साथ भी  जाते! कलकत्ता की यही सब बाते इसे अनोखा बनाती है कलकत्ते की इसी खूबी ने कई लोगो को इसे हमेशा के लिए अपना बनाने पर मज़बूर कर दिया जैसे मदर टेरेसा और ना जाने कितने ही लोग है।

गंगा के घाट के बिना कलकत्ता को जान पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है! बाबू घाट,फूल घाट और मल्लिक घाट यहाँ जाए बिना आप कलकत्ता को जान नहीं पायेंगे।  अगर सारे हफ्ते काम करने के बाद आप थक गए हो तो चिंता न करे आप को किसी थाई स्पा या मसाज पार्लर जाने की जरुरत नहीं है सीधे बाबू घाट  चले जाइये और वहा जाकर पूरे शरीर की मालिश कराइये और फिर गंगा में स्नान कर लीजिये फिर देखिये आने वाले हफ्ते के लिए आप पूरी तरह तरोताज़ा और नए जोश के साथ तैयार है !


फूल घाट सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा फूलो का बाजार है।  और अगर आप नदी भ्रमण का कार्यक्रम बना रहे है तो प्रिन्सेप घाट चले आइये और नाव में बैठ कर गंगा का आनंद लीजिये और कल्कत्तामय हो जाइये !




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*चित्र आभार गूगल इमेज 

        

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